‘एक वह अजेय’: कहानी संग्रह- सामाजजक, पारिवारिक मूल्यं का संिक्षण
DOI:
https://doi.org/10.52253/vjta.2022.v03i02.14Abstract
‘एक वि अजेय’ किानी संग्रि िै, नजसकी रचना नदल्ली में जन्मे डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने की िै। इससे पिले डॉ. वीरेन्द्र कुमार द्वारा रनचत ‘अन्नदाता’ और ‘अपने-अपने कुरुक्षेत्र’ नामक दो किानी संग्रि छप चुके िैं। यि उनका तीसरा किानी संग्रि िै। नपछले किानी संग्रि की किाननयों की तरि िी डॉ. वीरेन्द्र कुमार की इन किाननयों में भी कल्पना कम, यथाथथ ज्यादा िै। सरल एवं सिज भाषा में नलखी गई ये किाननयां पठनीय िोने के साथ-साथ मध्यमवगीय जीवन के एकदम करीब िैं। किाननयों का ननमाथण नकसी भारी भरकम और सुननयोनजत कथ्य से न िोकर उन छोटी-छोटी साधारण घटनाओं से हुआ िै, जो िर घर में, पररवार में, और िर समाज में घनटत िोती िैं। समाज और पररवार में रिते हुए व्यक्ति अपने दैननक जीवन में कुछ सामान्य-सी घटनाओं और अपने-परायों के बीच अक्सर नजन छोटी-छोटी समस्याओं से रूबरू िोता िै, उन्ीं का नचत्रण-वणथन िमें इस संग्रि की किाननयों में नमलता िै। मनुष्य अपने आस-पास घनटत िोने वाली ऐसी आदतों-बातों और मुलाकातों को बहुत सिज रूप में लेते िैं, जबनक ये घटनाएं नकसी भी व्यक्ति के जीवन को सिी-गलत नदशा देने में मित्त्वपूणथ भूनमका ननभाती िैं। ऐसी िी कुछ घटनाओं का संग्रि कर लेखक ने इन किाननयों को गुना-बुना िै।
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